शनिवार, 2 मार्च 2013

नाममात्र लोग ही है खूबसूरत-मन के मालिक! : मनदर्शन रिपोर्ट


विश्‍व की प्रथम खूबसूरत मन प्रतियोगिता में शामिल हुए 25 हजार प्रतिभागियों में से केवल 16 विजेताओं के चुने जाने के बाद प्रतियोगिता के जनक 'मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन' ने बताया कि न चुने गये प्रतियोगियों में कुछ न कुछ व्यक्तित्व विकार मौजूद रहे हैं।

इनमें सबसे बड़ी संख्या (60 प्रतिशत) उन लोगों की थी, जो बनावटी व्यक्तित्व विकार (Histrionic Personality Disorder) से ग्रसित थे।

दूसरा प्रमुख व्यक्तित्व विकार (30 प्रतिशत) स्वार्थी व्यक्तित्व विकार (Narcissistic Personality Disorder) रही।

तीसरे नम्बर पर (8 प्रतिशत) ईर्ष्‍यालु व शंकालु व्यक्तित्व विकार (Paranoid Personality Disorder) तथा

चौथे नम्बर पर (2 प्रतिशत) नकारात्मक व्यक्तित्व विकार (Nihilistic Personality Disorder) पाया गया।

'मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन' ने इन चार व्यक्तित्व विकारों को अति गम्भीर व नकारात्मक मानक मानते हुए ऐसे व्यतित्व विकार से ग्रसित लोगों को प्रथम चरण में ही प्रतियोगिता से बाहर कर दिया ।

तत्पश्‍चात शेष बचे लोगों में खूबसूरत मन (मेन्टल ब्यूटी) के सकारात्मक पहलुओं 

1.खुशमिजाजी (Sense of Humor),

2.मानवीय पहलुओं के प्रति संवेदनशीलता (Altruism),

3.रचनात्मकता (Creativity) तथा

4.भावनात्मक परिपक्वता (Emotional Maturity) का स्तर जांचा गया।

इन चारों मानसिक सुन्दरताओं को ग्रेड के आधारों पर शीर्ष 16 प्रतिभागियों को खूबसूरत मन अवार्ड प्रदान किया गया।

इस प्रतियोगिता का दूसरा अति महत्वपूर्ण पहलू यह था कि प्रतिभागियों के मानसिक सौन्दर्य का निष्पक्ष, सटीक एवं गहन अध्यन हो सके, इसके लिए डॉ. मनदर्शन ने प्रतिभागियों को बिना देखे व बिना व्यक्तिगत रूप से मिले, केवल फोन द्वारा ही बात-चीत का माध्यम चुना क्योकि प्रतिभागियों का रूप, शारीरिक सौन्दर्य, पहनावा व अन्य किसी प्रकार के बनावट से किसी भी प्रकार के पक्षपात या प्रभाव की सम्भावना न रह सके | 

तीसरा महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि फोन के माध्यम से प्रतिभागी अपने स्वाभाविक वातावरण में ही रहते हुये अपने मन में प्रतियोगिता का दबाव व तनाव न महसूस कर सके, जिससे की उसके मूल स्वभाव का वास्तविक अध्ययन हो सके |

इस समूची प्रतियोगिता में प्रतिभागियों का मानसिक विश्‍लेषण करने के पश्‍चात 'मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन' इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आज का मनुष्य बाहर की दुनिया के बारे में तो बहुत कुछ जानता है, परन्तु अपनी आन्तरिक दुनिया के बारे में वह लगभग अनभिज्ञ है। इसके परिणाम स्वरूप हर व्यक्ति को अपना व्यवहार व व्यक्तित्व सही नजर आता है, जबकि सच्चाई यह नहीं होती। इसका परिणाम यह हो रहा है कि आज समूचा विश्‍व अराजकता, अनैतिकता, संवेदनहीनता एवं अपराधिक प्रवृत्तियों से कुरूप हो चुका है।

विश्व की इस अनूठी प्रतियोगिता के प्रथम चरण ने लोगों को अपने मन की सुन्दरता को परखने का एक दर्पण प्रदान किया तथा इससे यह तथ्य भी उभर कर सामने आया कि ‘नाममात्र लोग ही है खूबसूरत मन के मालिक’ |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस लेख को पढ़ने के बाद आपके दिल-दिमाग में जो भी बातें आयीं उसे टिप्पणी के रूप में यहाँ जरूर बताएँ।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...