बुधवार, 26 जून 2013

‘अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य व्यसन व अवैध तस्करी रोधी दिवस’ (26 जून) : मनदर्शन रिपोर्ट

अंतर्निहित व्यक्तित्व-विकार मनोरोग बनाता है समाज को नशाखोर : 'डॉ. आलोक मनदर्शन'

अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य व्यसन अवैध तस्करी रोधी दिवस’ (26 जून) : मनदर्शन रिपोर्ट

व्यक्तित्व-  विकार      मनोरोग रहित मन ही नशारहित मन है | अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य व्यसन अवैध तस्करी रोधी दिवस’ (26 जून) हमें अपने मन का आत्मनिरीक्षण करके अपने व्यक्तित्व विकारों मानसिक विकृतियो को सक्रिय रूप से पहचानने के उद्देश्य से पूरी दुनिया में मनाया जाता है |

यह दिन हमें अपने मन में मौजूद मानसिक व्यक्तित्व-विकारों को सक्रिय रूप से पहचानने का समय है , जिससे की हमारा स्वस्थ सुन्दर मानसिक पुनर्निर्माण हो सके जिससे की आज विश्व-व्यापी महामारी का रूप ले रहे नशे की लत के फलस्वरूप अराजकता ,हिंसा ,आत्महत्या , अनैतिकता , संवेदनहीनता एवं आपराधिक प्रवित्तियों से कुरूप हो चुका तथा मानसिक बीमारियों से पीड़ित विश्व समाज स्वस्थ खूबसूरत बन सके | क्योंकि आज समूचे विश्व की दो-तिहाई आबादी किसी किसी प्रकार के व्यक्तित्व-विकार मानसिक-विकृति से ग्रसित हो चुकी है जिसकी परिणति अल्प, मध्यम गंभीर नशाखोरी के रूप में हो रही है |

स्वस्थ सुन्दर मन के वैश्विक मिशन के प्रति समर्पित मनदर्शन-मिशन नेअंतर्राष्ट्रीय नशारोधी दिवस की पूर्व संध्या पर जारी निदानात्मक-शोध (Prognostic-Research) रिपोर्ट में इस तथ्य को उजागर किया गया है कि अंतर्निहित व्यक्तित्व-विकार मनोरोग ही विश्व समाज को तेजी से ले जा रहा हैनशाखोरी की तरफ |

डॉ. आलोक मनदर्शन' ने नशाखोरों की अपने व्यक्तित्व-विकारों मनोरोगों के प्रति अनभिज्ञता को अंतर्दृष्टि-शून्यता’ ( Insight-Blindnesss ) के रूप में परिभाषित किया है | जिसके कारण लोग अपने बनाये तर्कों के आधार पर अपने नशाखोरी की लत को सही ठहराने की कोशिस करते है | जबकि सच्चाई यह है कि ऐसे लोगों का अंतर्निहित व्यक्तित्व-विकार मनोरोग ही आगे बढ़ते-बढ़तेनशाखोरीका रूप ले लेता है |
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