रविवार, 30 सितंबर 2012

कमज़ोर क़ानून - ताक़तवर अपराधी

      आज हम अपने ही देश, राज्य, यहाँ तक की अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं। कौन हमें कब और कहां लूट ले और जान से मार दे यह हम जान भी नहीं सकते, इन सबके पीछे सबसे बड़ा कारण है हमारा कमज़ोर और बेबस क़ानून। हमारे देश का क़ानून इतना लचर क्यों है?
      क्या आपने कभी सोचा है? यदि हमारी अदालतें अपने दिए गये फैसलों पर सख्ती से अमल करें तो हर छोटा व बड़ा मुजरिम दोबारा अपराध करने की सोचेगा भी नहीं, लेकिन यहाँ तो एक अदालत मुजरिम को सज़ा देती है। और दूसरी उसे ज़मानत पर छोड़ देती है। जिससे उसे दोबारा अपराध करने में बल मिलता है और वह बार-बार अपराध करने का खेल जारी रखता हैकहीं-कहीं तो आपने ऐसा भी देखा होगा की हम जानते हैं। कि अपराधी कौन है? और पुलिस व क़ानून भी जानता है कि अपराधी कौन है? परन्तु सबूत और गवाह की कमी के कारण वह अपराध करने के बाद भी खुला घूमता है इसके पीछे तो मुझे सारा दोष अपने देश के लचर और लचीले क़ानून का नज़र आता है, जबकी शायद आपको अपने कुछ पड़ोसी मुल्कों के क़ानून का पता होगा जहाँ जैसा अपराध वहां वैसी सज़ा वह भी तुरंत बिना ज़्यादा किसी सुनवाई के, पर यहाँ तो एक छोटे से छोटे अपराध का मुक़द्दमा कई सालों तक चलता रहता है और अंत मे अधिकतर अपराधी बाइज्ज़त बरी होते नज़र आते हैं। आखिर ऐसा लचीला क़ानून कब तक हमें अपराधियों के खौफ़ के तले जीने पर मजबूर करता रहेगा। हमारी सरकारों को चाहिए की संविधान में संशोधन करते हुए अपराधों से संबंधित क़ानून को इतना सख्त कर दें की अपराधी उस सख्ती के बारे में सुनकर ही अपराध से तौबा कर लें तभी हमारे देश का हर नागरिक अपने देश में आज़ादी से जी सकेगा।

रविवार, 9 सितंबर 2012

जुगाड़ हमारे जीवन का अहम हिस्सा क्यों ?

     जुगाड़ हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। आप सोच रहे होंगे की ये जुगाड़ हमारे जीवन का अहम हिस्सा कैसे बन सकता है? इसका जबाब आप मुझसे न ले कर खुद से पूछिए तो शायद आपको सही और समुचित जबाब मिल जायेगा परन्तु जुगाड़ शब्द हमारे जीवन को कितना सुख देता है और दूसरे को कितना दुःख ये तो आप ही जाने।
      आखिर हम हर चीज या हर कम को पूरा करने के लिए जुगाड़ क्यों ढूढ़ते है क्या बिना जुगाड़ के हमारा कम नही हो सकता? हो सकता है परन्तु हम बिना जुगाड़ या सोर्स के कोई  काम शान के खिलाफ समझते है। इसी कारण हम छोटे से छोटे कम के लिए जुगाड़ ढूढ़ते फिरते  है। बैंक में पैसे लेने हो या जमा करने हो हम लें में लग्न अपनी तौहीन समझते है और जुगाड़ ढूढ़ते है की कोई परिचित का मिल जाए और हम काउंटर के अन्दर से पैसा जमा करा दे। इसी तरह रेल टिकटबस टिकटगैस सिलेंडर किसी सरकारी कार्यालयगैर सरकारी कार्यालय में लाइन में न लगकर जुगाड़ को अपने कम के प्रति प्राथमिकता देना हमारी इस आदत से उन लोगो को कितनानुकसान पहुंचता है जिन बेचारों के पास न तो कोई जुगाड़ है न ही कोई सोर्स। आप ही सोचो एक व्यक्ति एक गैस सिलेंडर  के लिए चार से पाच  घंटे तक लाइन  में खड़े होकर इंतजार कर सकता है। अपनी बारी आने का और वहीं दूसरी तरफ एक व्यक्ति ऐसा भी होता है। जो बिना किसी लाइन  में लगे तुरंत एक से दो सिलेंडर मिनटों में अपने घर ले जाता है आखिर कैसेआखिर उसका कही न कही जुगाड़ है परन्तु उसने कभी यह सोचा है की चार से पाँच घंटे लाइन में खड़ा होने वाला व्यक्ति भी उसी की तरह एक इन्सान है उसकी भी जरूरत है उसका भी अपना परिवार है पर अगर हम ये सब सोचे तो हम भी लाइन में लगकर अपना कम न कर लें।
      आज दूसरे कई देश हम से ज्यादा तरक्की क्यों कर रहे है। क्योकि वहां कोई छोटा बड़ा नही है वहां सबको एक समान रूप से देखा जाता है और सबका कम भी एक समान रूप से किया जाता है इसी कारण किसी को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नही करना पड़ता है हमें अपने देश में भी यह सोच अपने अन्दर पैदा करनी होगी की न कोई बड़ा है न कोई छोटा सभी को एक समान रूप से अपने हर कार्य के लिए पूर्ण अधिकार है तभी हम भी अन्य देशो से बराबरी का मुकाबला कर पाएंगे और हमे या हमारे अन्य भाइयो को अपने किसी भी कार्य के लिए किसी से पीछे नही रहना पड़ेगा

शनिवार, 8 सितंबर 2012

कहीं हम भी तो भ्रष्ट नही !

आज हमारे देश में हर कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम छेड़ रखा है, जहाँ कहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ बात होती है वहाँ हर इन्सान भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने की बात स्वीकारता नज़र आता है, पर क्या आपने कभी सोचा है कि जिस भ्रष्टाचार को हम जड़ से मिटाने की बात कर रहे हैं कहीं उसमें हम भी तो लिप्त नहीं है, जी हाँ  हम भी हैं। पर यह हम कभी अपने मुहँ से स्वयं को नहीं कह सकते क्योकि हमारी आत्मा हमारा ज़मीर हमें कभी भ्रष्ट मानने के लिए नहीं स्वीकारेगा, हाँ दूसरे को हम भ्रष्ट कह सकते है, क्योंकि उसके अन्दर की कमियां उसके अन्दर छिपा भ्रष्ट चेहरा हमे तुरंत दिखाई पड़ जाता है, परन्तु हमारे अन्दर का भ्रष्टाचार जो हमें नहीं दिखाई देता।
मेरा तो मानना है की समाज का हर व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त है और वह भ्रष्ट भी है, परन्तु क्या आप इसे स्वीकार करेगें? भ्रष्टाचार का अर्थ क्या है? न ही आप को ठीक ढंग से पता है, और न ही मुझे, मेरे हिसाब से वह हर कार्य भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है जिसे हम अपनी सुख-सुविधा के लिए दूसरे को तकलीफ में डालकर करते हैं।
आज के इस आधुनिक युग में हमारी जरूरतें इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है की हम हर जगह जिन्दगी में शार्टकट ही ढूंढते नज़र आते हैं, सिर्फ अपनी सुख सुविधाओं के लिए, जिससे हम आगे तो बढ़ते है पर हमारा रास्ता गलत होता है। हम तमाम जगहों पर विरोध-प्रदर्शन, अनशन, सत्याग्रह आन्दोलन जैसे हथकंडो द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम  तो छेड़ते है परन्तु उस मुहीम  को कितना सफल बना पाते है, यह तो आप जानते ही हैं, आखिर क्यों? क्योंकि कहीं न कहीं हम स्वयं भी भ्रष्ट है, हम और आप एक ग्राम प्रधान से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को भ्रष्ट कहने में संकोच नहीं करते  पर आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि अगर आज हमारे देश के नेता भ्रष्ट है तो उसके पीछे कारण कौन है? कोई दूसरा नहीं स्वयं हम उन्हें भ्रष्ट बनाने के ज़िम्मेदार हैं, बस अंतर इतना है की वो बड़े भ्रष्ट है और हम छोटे।
आप सोच रहे होंगे की ये तो सरासर इल्ज़ाम है। जी हाँ एक बार आप इसे इल्ज़ाम ही मानकर अपने ऊपर लेकर तो देखें आपकी आत्मा खुद ही यही कहेगी कि तुम गलत हो, और वह गलत रास्ता तुम सिर्फ अपनी जरा सी सुविधाओं के लिए अपनाते हो जो तुम्हारे साथ-साथ कईयों को भ्रष्ट की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता है, कुछ लोग तो गलत ढंग से कमाए जाने वाले पैसे को ही सिर्फ भ्रष्ट की श्रेणी में मानते है, परन्तु मेरे हिसाब से पैसा गलत ढंग से कैसे आया? गलत काम करके, इसलिए वह हर गलत काम जो अपनी सुख-सुविधाओं के लिए किया जाता है वह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है, भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है, इसे पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है परन्तु न किसी आन्दोलन से न सत्याग्रह से, न ही विरोध-प्रदर्शन से इसे समाप्त करने के लिए हमारे देश में हर छोटे-बड़े, गरीब और अमीर नागरिक को अपनी सुख-सुविधाओं के लिए शार्टकट रास्तों को बंद करके, नियम और सिस्टम के अनुसार चलना होगा, सही को सही और गलत को गलत मानना होगा, सभी को एक निगाह से देखना होगा तभी जाकर इस भ्रष्टाचार रुपी राक्षस का खात्मा हो पाएगा।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...