बुधवार, 13 जून 2012

लव- कहीं खुशी – मैरिज- कहीं गम

एक समय था जब राजा महाराजा निकलते थे लड़ाई या आखेट के लिए और रास्ते में मिलने वाली किसी सुन्दर कन्या को अपनी महारानी बनाकर ले आते थे। पहली बार निगाह मिलते ही दोनो एक दूसरे को दिल दे बैठते थे।
वहीं दूसरी तरफ आज के हमारे इस समाज के लड़के, लड़कियाँ भी प्यार तो करने में अव्वल है परन्तु उसे आजीवन निभा पाने में पीछे है। क्योकि वे प्यार तो करते है परन्तु उसका सही अर्थ वे अपने जीवन में कभी नही समझ पाते, अधिकतर तो प्यार को सिर्फ अपना स्टेटस सिम्बल ही मानते हैं
15-16 साल की उम्र से ही लड़के-लड़कियाँ एक दूसरे से प्यार कर बैठते है, पर शादी की उम्र आते-आते या तो प्यार टूट जाता है या फिर शारीरिक इच्छा पूर्ति बन कर रह जाता है।
कुछ के तो परिवार के लोग प्यार को जातिगत व पैसे के तराजू में तौलकर उसके अंजाम तक पहुँचने से पहले ही उसका वजूद समाप्त कर देते है।
वहीं कुछ लोग अपने प्यार को शादी के अंजाम तक पहुँचाते तो खुशी-खुशी है परन्तु शादी के बाद सारी खुशियाँ गम में बदल जाती है, उसका मुख्य कारण है आपसी मतभेद जो कि वैवाहिक जीवन से प्यार जैसे शब्द को पूर्णतः समाप्त कर चुका होता है।
क्या आपने कभी सोचा है? कि अधिकतर लव मैरिज सक्से क्यों नही होती? उसके पीछे मेरे हिसाब से मुख्य कारण होता है मनुष्य की जीवन में बदलाव के प्रति सोच। आज हमारे समाज का मनुष्य इस चकाचौंध की जिन्दगी में हर कदम पर बदलाव चाहता है उसकी सोच अब इस बात पर आकर टिक गयी है कि हर पल मेरे जीवन में कछ नया हो जिससे मै सुखद जीवन का एहसास कर सकूँ। इसी कारण मनुष्य का मन एक जगह ज़्यादा देर न टिक कर चलायमान हो चुका है। वह इस परिवर्तन रुपी अपने जीवन को हर पल कुछ नया देने की कोशिश करता है। जिसके कारण वह अपने प्यार को भी हर पल बदलने की चेष्टा रखने लगा हैं। और कहीं-कहीं प्यार के बाद शादी और शादी के बाद भी नया प्यार जिन्दगी को दोबारा नई जिन्दगी की शुरुआत करने पर मजबूर कर देता है।
ये सारा कुछ लव मैरिज में ही नही बल्कि अरेन्ज मैरिज का भी हिस्सा है, परन्तु अरेन्ज मैरिज में हम एक दूसरे को समझने में कभी-कभी एक लम्बा समय पास करते है, परन्तु लव मैरिज में सब कुछ पहले से ही समझा-समझाया होता है और मैरिज के बाद अधिकतर लोगों की एक दूसरे को ठीक से जानने की इच्छा शक्ति खत्म हो चुकी होती हैं, और वे एक दूसरे से कभी-कभी ऊबन महसूस करने लगते है। वह ऊबन उन्हे एक दूसरे से दूर करने लगती है और उनके जीवन से प्यार धीरे-धीरे खत्म होने लगता है।
अपने सुख सुविधाओं के लिए हम समाज की मान-मर्यादाओं को इतना पीछे छोड़ते चले जा रहे है कि आने वाली हमारी नई पीढ़ी प्यार और शादी जैसी चीजों के लिए रोजाना अपने जीवन में एक नया परिवर्तन लायेगी, जो उसके जीवन के लिए अच्छा होगा या बुरा यह शायद वह भी न जाने।

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