शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

मानसिक जड़त्व की स्थिति ही पैदा करती है ‘इग्जाम-फोबिया’

बचे! इग्जाम-फोबिया के दुष्प्रभाव से : 'मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन'
परीक्षा की घड़िया नजदीक आने के साथ ही क्या आप की मन:स्थिति इस तरह असमान्य होने लगती है कि आप घबराहट, बेचेनी, हताशा, चिडचिडापन, नींद में कमी या ज्यादा सोते रहना, शारीरिक व मानसिक थकान जैसे लक्षण आप पर हावी होने लगते है | इतना ही नहीं, आप अधिक से अधिक पाठ्यक्रम को पूरा कर लेने की समय-सारिणी रोज बनाते है, लेकिन पढ़ बहुत कम पाते है, और फिर निर्धारित पाठ्यक्रम के न पूरा हो पाने पर पछतावा व खिन्नता की स्थिति में आ जाते है | ऐसी मन:स्थिति किसी भी आयु वर्ग व शैश्चिक स्तर के छात्र-छात्राओ में पायी जा सकती है | और फिर इस प्रकार मन पढाई और परीक्षाफल के मानसिक द्वन्द की स्थिति में इस प्रकार आ जाता है कि आपको तमाम अन्य समस्याएँ जैसे बेहोशी या मुर्क्षा, सुन्नता, सरदर्द, नर्वसडायरिया, पेटदर्द, साँस का रुकना, बोल न पाना, पहचान न पाना, खुद को कोई अन्य व्यक्ति, या देवी-देवता या भूत-प्रेत इत्यादि के रूप में प्रदर्शित करना आदि हो सकती है | भारत की पहली टेलीफोनिक साईंकोथिरेपी सेवा मनदर्शन हेल्पलाइन 09453152200 के आंकड़ो के अनुसार भारी तादात में छात्र-छात्राओ द्वारा स्वयं या उनके परिजनों द्वारा ऐसे ही लक्षणों को बताया गया है |

इग्जामफोबिया के मनोगतिकीय पहलू
‘मनदर्शन मनोविश्लेशकीय फाउन्डेशन’ द्वारा इग्जामफोबिया के मनोगतिकीय पहलू का विश्लेषण करते हुए 'मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन' ने बताया कि इग्जामफोबिया की स्थिति में छात्र के मस्तिष्क के टेम्पोरललोब के लिम्बिक-सिस्टम में स्थित भावनात्मक केंद्र अमिग्डाला ग्रंथि तनावग्रस्त हो जाने के कारण द्विगामी वाल्व की तरह काम करना बंद कर देती है | जिससे सूचनाये न तो मन में संग्रहित हो पाती है और न ही पूर्वसंग्रहित सूचनाये चेतन-मन में वापस आ पाती है | 'मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. मनदर्शन' ने ऐसी मन:स्थिति को ‘मानसिक जडत्व’ के रूप में परिभाषित किया है |

बचाव :
छात्र अपनी मानसिक प्रत्यास्थता को विकसित करे ताकि ‘मानसिक जडत्व’ की स्थिति न आने पाये | अपनी क्षमता के अनुरूप अध्ययन के बीच छोटे ब्रेक लेकर मनोरंजक गतिविधियों का भी पूरा आनंद ले तथा तरल मानसिक स्फूर्तिदायक पदार्थो का सेवन बराबर करते रहे | 6 से 8 घंटे की गहरी नींद अवस्य ले | सकारात्मक दृष्टिकोण से अपनी योग्यता पर आत्मविश्वास रखे | नकारात्मक व तुलनात्मक स्वआंकलन न करे एवं ऐसा करने वाले तथा अतिअपेक्षित वातावरण बनाने वाले परिजनों के दबाव से बचे |

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