मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

मनदर्शन-मिशन ने उजागर किया मानवीय-संबंधो को तार-तार कर देने वाले मनोरोग : पैरानोइया

मनदर्शन-मिशन ने उजागर किया मानवीय-संबधो को तार-तार कर देने वाले मनोरोग का ! मानवीय-संबंधो को तार-तार कर देने वाला मनोरोग : ‘पैरानोइया’ आप आए दिन ऐसी खबरों से अवश्य रूबरू होते होंगे जो कि मानवीय संबंधो को तार-तार कर देती है, जैसे की पति या पत्नी द्वारा एक दुसरे पर घोर अत्याचार व हिंसा, भाई द्वारा भाई की हत्या, माँ द्वारा बेटे-बेटी के प्रति या बच्चो द्वारा माँ-बाप के प्रति जानलेवा हमला, सास व बहु के बीच हिंसक वारदातें या अन्य पारिवारिक जघन्य हिंसक घटनाए | ऐसी घटनाएँ तो खबर का अहम् हिस्सा बनती है लेकिन इन घटनाओं के मुख्य कारक पहलू आम जनता के समक्ष उजागर नहीं हो पाते है |
आम जनता में मानसिक स्वास्थ्य का अविर्भाव कर एक स्वस्थ व सुन्दर विश्व समाज की स्थापना के मिशन के तहत मनदर्शन मिशन की मनोविश्लेश्कीय उद्गम मनदर्शन मनोविश्लेश्कीय फाउन्डेशन ने इन घटनाओं के पीछे ‘पैरानोइया’ नामक रोग का होना बताया है | जनहित में जारी घरेलू हिंसा के अति महत्वपूर्ण व अनछुए पहलू का रहस्योघाटन करते हुए ‘मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन‘ ने बताया कि पैरानोइया एक ऐसा गंभीर मनोरोग है जिससे ग्रसित व्यक्ति अपने पूरे परिवार, पास पडोस व समाज के लोगों के प्रति इस प्रकार काल्पनिक नकारात्मक सोच बना लेता है जिससे उसके मन में अपने अत्यंत करीबी पारिवारिक रिस्तो व शुभचिंतकों के प्रति भी असुरक्षा का शक इस हद तक हावी होने लगता है कि वह आत्मरक्षा में किसी कि जान तक लेने पर उतारू हो जाता है या फिर घर छोड़ कर भाग जाता है | कुछ मरीज तो अपनी जान के प्रति इस प्रकार खतरा महसूस करने लगते है कि उन्हें लगता है कि उनके सभी परिजन उनको जान से मारने की साजिश कर चुके है तो वह स्वयं को कमरे में बंद करके आत्मरक्षा में हमलावर हो जाता है और खाना-पीना बिल्कुल बंद कर देता है क्याकि उसे यह शक होता है कि खाने-पीने की सारी चीजों में साजिश के तहत जहर मिला दिया गया है इस प्रकार बिना खाये-पिये कमरे में बंद रहते हुए भुखमरी से उसकी मौत तक हो जाती है या वह आत्महत्या कर लेता है मशहूर फिल्म अभिनेत्री परवीन बाबी द्वारा इसी प्रकार अपने को कमरे में बंद कर भुखमरी से हुई मौत की घटना इसी बीमारी का उदाहरण है | इतना ही नहीं, इस बीमारी से ग्रसित ब्यक्ति बहुत आसानी से जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, दुआ-ताबीज, व अन्य कर्म-कांड के अन्धविश्वास में फंस कर कुछ भी कर जाते है, भले ही वे कितने ही पढ़े-लिखे क्यों न हो | भारत की पहली टेलीफोनिक साइकोथेरेपी सेवा मनदर्शन हेल्पलाइन- +919453152200 के अन्वेषक ‘मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन‘ ने अफ़सोस जाहिर करते हुए बताया कि दुर्भाग्य की बात यह है कि अधिकांशत: युवा अवस्था में ही इस बीमारी के लक्षण उभर कर सामने आते है और यही वह समय होता है जिस समय मरीज वैवाहिक सम्बन्धों में बंधता है | इसका परिणाम यह होता है कि पत्नी द्वारा पति पर किया जाने वाला शक या पति द्वारा पत्नी पर किये जाने वाले शक को उसके सम्बंधित घरवाले उसकी बीमारी का लक्षण न समझ कर उसको सच मानने लगते है तथा मामला पुलिस व अदालत तक पहुँच जाता है व तलाक तक की नौबत आ जाती है | मरीज के इस नकारात्मक व्यवहार को परिवार व समाज के लोग भी इसे एक मनोरोग के रूप में न समझ कर मरीज के व्यवहार की प्रतिक्रिया के स्वरुप लड़ाई-झगडे के प्रति उतारू हो जाते है, जबकि जरुरत यह है कि ऐसे व्यवहार को तुरंत पहचान कर तत्काल इसका मानसिक उपचार करवाना चाहिए | मनदर्शन हेल्पलाइन - +919453152200 के माध्यम से ऐसे तमाम पारिवारिक कलह व घरेलू हिंसा के पीछे इसी बीमारी का होना पाया गया है जिससे कि बहुत से परिवार बिखर चुके है या फिर पुलिस व कचेहरी के चक्कर लगा रहे है | मनदर्शन हेल्पलाइन +919453152200 से ऐसे मरीजो का स्वस्थ मानसिक पुनर्निर्माण हो रहा है तथा परिवार में सुख शांति की पुर्नस्थापना हो रही है | ऐसे तमाम घटनाओ की परिणति घरेलू हिंसा के मुकदमों के रूप में भी होती है लेकिन यह समस्या का हल नहीं है क्योकि ऐसे में बीमार व्यक्ति की पहचान ही नहीं हो पाती है |

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