कल यानि 24 अक्टूबर 2012 के
दिन विजयदशमी का जुलूस अपने पूरे शबाब पर था। शाम हो चुकी थी मैं भी जुलूस के
गाज़े-बाज़े को सुन-सुन कर ऊब चुका था। आखिर में मैं भी घर के लिए निकला रोड पर
जुलूस की भीड़-भाड़ के कारण मैं बाइक से सीधे रास्ते से घर नहीं आ सकता था। तभी मेरे
एक मुस्लिम मित्र ने मुझे सलाह दी कि आप गली से चले जाएँ, सिर्फ सलाह ही नहीं दी बकायदा साथ लेकर छोड़ा भी।
मैं जैसे ही घर पहुँचा तभी मुझे मोबाइल पर सूचना मिली कि चंद खुराफ़ातियों ने
चौक-रिकाबगंज रोड पर बलबा कर दिया है और तोड़-फोड़ करने लगे हैं साथ ही कुछ ग़रीब
मुस्लिमों की दुकानों को आग लगा दी हैं। मुझे बाद में पता चला कि उस क्षेत्र में
लाइट भी गुल हो गयी थी। पूरे रोड पर जबर्दस्त जाम लग चुका था। बलबाइयों ने उस
क्षेत्र को चारों ओर से घेर लिया था।
दुकाने रात भर जलती रहीं। प्रशासन की तरफ से कुछ दमकल जिसमें पानी नहीं था, सिर्फ खड़ा रहा। चंद पुलिस वाले रात भर अपनी ड्यूटी बजाते रहे। अफ़वाहे चरम पर हैं। सुनने में आ रहा है कि फैज़ाबाद शहर से कुछ दूरी पर स्थित एक क़स्बे ‘भदरसा’ में भी काफी तोड़-फोड़ होने लगी है।
दुकाने रात भर जलती रहीं। प्रशासन की तरफ से कुछ दमकल जिसमें पानी नहीं था, सिर्फ खड़ा रहा। चंद पुलिस वाले रात भर अपनी ड्यूटी बजाते रहे। अफ़वाहे चरम पर हैं। सुनने में आ रहा है कि फैज़ाबाद शहर से कुछ दूरी पर स्थित एक क़स्बे ‘भदरसा’ में भी काफी तोड़-फोड़ होने लगी है।
आज 25
अक्तूबर की सुबह तक दुकानों की आग बुझ नहीं पायी तनाव बढ़ने लगा है चौक घंटाघर पर
लोग इकट्ठा होने लगे हैं कुछ लोगों ने प्रशासन के ख़िलाफ नारेबाज़ी भी शुरू कर दी, और कुछ लोग पथराव पर भी उतर आयें हैं। प्रशासन ने
उन्हें काबू में करने के लिए सुबह 11 बजे कर्फ्यू घोषित कर दिया। जिसकी वजह से आज
हम और हमारी ज़िंदगियाँ घरों में कैद होकर रह गई हैं।
वो ग़रीब मुस्लिम जो आने
वाले धनतेरस और दीपावली के लिए एक-एक पैसा जोड़ कर अपनी-अपनी दुकानों में रौनक भर
रहे थे। उनकी दुकानों को जला कर आखिर क्या मिल गया किसी को? आखिर किसकी गलती की वजह से ‘हमारे-फैजाबाद’ के अमन-चैन पर हमला हुआ? और तब प्रशासन कहाँ था? आखिर किसकी गलती की वज़ह से कर्फ्यू तक की नौबत
पहुँची? क़रीब 168 मूर्तियों के जुलूस में भीड़ की क्या
शक्ल होगी? आप ख़ुद-ब-ख़ुद अंदाजा लगा सकते हैं इतने बड़े
विसर्जन के दौरान जुलूस की भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन के पास क्या इंतज़ाम था? इतनी बड़ी भीड़ जो धार्मिक उन्माद से लबरेज़ हो
उसको तो ज़रा सी चिंगारी पाने की देर है।
D॰K सर, लगता है कि आप धर्म-निरपेक्ष सोच रखते है, क्योंकि आपने यहाँ जो लिखा है उसमें साफ़-साफ़ धर्मनिरपेक्षता झलकती हैं। लेकिन क्या आप बता सकते हैं कि--
जवाब देंहटाएं{1} विश्व का कोई भी मुस्लिम बहुल आबादी वाला मुल्क धर्म-निरपेक्ष क्यों नहीं है? चाहे वो पाकिस्तान हो या फिर कोई और राष्ट्र जैसे बांग्लादेश, ईरान, इराक़, सऊदी अरब, ओमान, यमन, अफगानिस्तान, इजिप्ट, इन्डोनेशिया कोई भी।
{2} हमारा देश अगर धर्मनिरपेक्ष है तो हज़ यात्रा पर सब्सिडी और अमरनाथ यात्रा पर टैक्स क्यों?
हज़ यात्रा पर सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी अब बंद हो चुकी है।
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