मंगलवार, 6 नवंबर 2012

अंतर्निहित व्यक्तित्व-विकार व मनोरोग बनाता है समाज को नशाखोर

‘अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य व्यसन व अवैध तस्करी रोधी दिवस’ (26 जून) : मनदर्शन रिपोर्ट ‘व्यक्तित्व-विकार व मनोरोग’ रहित मन ही ‘नशा-रहित मन’ है। ‘अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य व्यसन व अवैध तस्करी रोधी दिवस’ (26 जून) हमें अपने मन का आत्मनिरीक्षण करके अपने व्यक्तित्व विकारों व मानसिक विकृतियो को सक्रिय रूप से पहचानने के उद्देश्य से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह दिन हमें अपने मन में मौजूद मानसिक व व्यक्तित्व-विकारों को सक्रिय रूप से पहचानने का समय है, जिससे की हमारा स्वस्थ व सुन्दर मानसिक पुनर्निर्माण हो सके जिससे की आज विश्व-व्यापी महामारी का रूप ले रहे नशे की लत के फलस्वरूप अराजकता, हिंसा, आत्महत्या, अनैतिकता, संवेदनहीनता एवं आपराधिक प्रवित्तियों से कुरूप हो चुका तथा मानसिक बीमारियों से पीड़ित विश्व समाज स्वस्थ व खूबसूरत बन सके।
क्योंकि आज समूचे विश्व की दो-तिहाई आबादी किसी न किसी प्रकार के व्यक्तित्व-विकार व मानसिक-विकृति से ग्रसित हो चुकी है जिसकी परिणति अल्प, मध्यम व गंभीर नशाखोरी के रूप में हो रही है। स्वस्थ व सुन्दर मन के वैश्विक मिशन के प्रति समर्पित ‘मनदर्शन-मिशन’ के मनोखोजी लेंस ‘मनदर्शनलीक्स’द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय नशारोधी दिवस’ की पूर्व संध्या पर जारी निदानात्मक-शोध (Prognostic-Research) रिपोर्ट में इस तथ्य को उजागर किया गया है कि ‘अंतर्निहित व्यक्तित्व-विकार व मनोरोग’ ही विश्व समाज को तेजी से ले जा रहा है ‘नशाखोरी’ की तरफ। पिछले दो वर्षो के दौरान किये गये इस शोध के पश्चगामी-अध्ययन (Retrospective-study) में देश-विदेश के 30 हजार नशे की लत के लोगों में पहले से मौजूद व्यक्तित्व-विकार व मनोरोग ( Personality-Disorder & Mental-Disorder ) तथा वर्तमान में उसके नशाखोर होने के बीच 95 प्रतिशत विश्वनीयता स्तर ( 95% Confidence Level ) पर प्रबल धनात्मक सह-सम्बन्ध (Strong Positive Co-relation) पाया गया। साथ ही अन्य 30 हजार उन लोगों पर जो अभी नशे की चपेट में पूर्णतयः नहीं आये हुए थे, पर हुए अग्रगामी-अध्ययन (Prospective-Study) में पाया गया कि उनमे कुछ न कुछ व्यक्तित्व-विकार व मनोरोग कम या ज्यादा रूप में मौजूद है और वे आगे चलकर नशाखोरी के चंगुल में पूरी तरह फंस चुके है। इस शोध में हर उम्र, लिंग और सामाजिक स्तर के लोग सामिल है। यह शोध दक्षिण-एशिया की पहली टेलीफोनिक साइकोथिरेपी सेवा मनदर्शन हेल्पलाइन +919453152200 से एकत्र डाटाबेस पर आधारित है। दक्षिण-एशिया की पहली मनोखोजी-लेंस ‘मनदर्शनलीक्स’ के संस्थापक 'मनो-अद्ध्यात्म्विद डॉ. आलोक मनदर्शन' ने नशाखोरों की अपने व्यक्तित्व-विकारों व मनोरोगों के प्रति अनभिज्ञता को ‘अंतर्दृष्टि-शून्यता’ ( Insight-Blindnesss ) के रूप में परिभाषित किया है | जिसके कारण लोग अपने बनाये तर्कों के आधार पर अपने नशाखोरी की लत को सही ठहराने की कोशिश करते है। जबकि सच्चाई यह है कि ऐसे लोगों का ‘अंतर्निहित व्यक्तित्व-विकार व मनोरोग’ ही आगे बढ़ते-बढ़ते ‘नशाखोरी’ का रूप ले लेता है।

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