बुधवार, 28 नवंबर 2012

चाइना---------- मतलब नो गारंटी


कहाँ  कुछ दिन पहले तक हम अपने बाज़ार में बिकने वाले हर सामान की गारंटी लिए बिना सामान नही खरीदते थे. वहीँ आज हम चायनीज सामान को बिना गारंटी के खरीद में एक मिनट भी देर नही करते आखिर  क्यों ?
आज भारतीय बाज़ार में चीन का दबदबा इतना बढ़ चुका है की हम उसे ही पसंद कर रहे है . जहाँ एक तरफ रोजाना भारत व चीन के रिश्तों में कहीं न कहीं खटास पड़ती दिखती है पर खिलौने व इलेक्ट्रोनिक के बाज़ार में चीन भारत में अपना पैर जमाता जा रहा है.
आखिर आज हमारे दिलो दिमाग से गारंटी नाम के शब्द की जगह क्यों समाप्त होती जा रही है . एक समय था कि हम बाज़ार से सामान लेते वक्त उसे ठोंकते बजाते साथ दुकानदार से उसके लम्बे समय चलने की गारंटी भी लेते.
परन्तु आज न हम चायनीज सामान को ठोंकते बजाते है न ही उसके गारंटी की इच्छा जाहिर करते है क्योंकि हम रोजाना निकलते नए फैशन के चलते नये सामान को खरीदने की इच्छा व छमता रखते है .
पर हमें एक बात जरूर  याद  रखनी चाहिए की  अच्छी कम्पनी का गारंटी वाला सामान ही हमारे लिए बेहतर है जबकि नो गारंटी वाला चायनीज सामान सिर्फ हमारे पैसे की बरबादी है और कुछ छाड़ की अंधी चमक जिसकी रौशनी सिर्फ चीन में ही दिखाई देती है .
आज चीन भारत में अपना इस तरह का ब्यापार फैलाकर खुद तो अंधा पैसा कमा रहा है वहीँ भारतियों को आंतरिक रूप से ख़ासा चूना लगा रहा है.
भारत सरकार को चाहिए की चाइना बाज़ार के इस ब्यापार को गारंटी प्रदान कराए जिससे  भोले भाले भारतीयों को चाइना की नो गारंटी की वजह से खुद को ठगा सा न महसूस करना पड़े.

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